नमस्ते दोस्तो मै आपका दोस्त रवि आपकी सेवा मे अपनी ममेरी बहन के साथ मज़े करने की कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हू. मेरे पापा लखनऊ मे नौकरी करते थे. हम भोपाल के पास के एक गाँव के रहने वाले है. एक बार हम स्कूल की छुट्टीओ मे गाओ गये थे. छुट्टी थी इसलिए मेरे सभी चचेरे भाई बहन आए हुए थे. परिवार काफ़ी बड़ा है इसलिए एक चारपाई पर दो लोगो को सोना तै हुआ. मुझे मेरी ममेरी बहन के साथ सोने को कहा गया जो मुझसे ७ साल बड़ी थी. जब हम बेड बिछा के लेटने गये तो वो बोली की तुम मेरी तरफ पैर कर के सो जाओ जिससे हम दोनो को जगह मिलेगी. मैने कहा ठीक है.
मै पहले ज़रा उसके बारे मे आप लोगो को बता दू. वो गोरी बड़े बड़े बूब्स और गांद वाली बहुत ही सेक्सी लड़की थी और कुछ दीनो से मैने महसूस किया था की वो मौका पा के मुझे घूरती रहती थी. मैने उसके बारे मे कभी ग़लत नही सोचा था. जब हम सो रहे थे तो मुझे पैर पर कुछ नरम नरम सा महसूस हुआ. मै पहले तो दर गया की कही कोई साप तो नही है और उठ के बैठ गय.जब मैने अपने पैर की तरफ देखा तो पता चला की मेरे पैर पर मेरे बेहन के बूब्स छू रहे थे. उसका दुपट्टा हटा हुआ था और गोलाइयाँ साफ नज़र आ रही थी. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
मई चुपचाप लेट गया और धीरे धीरे अपने पैर से उसके बूब्स सहलाने लगा. थोड़ी देर मे उसने कुछ हरकत की तो मै ऐसे पड़ा रहा जैसे सो रहा हू. थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा की वो सो गयी है तो मै फिर से चालू हो गय.लेकिन शायद वो जाग रही थी. एकदम से वो उठ के बैठ गयी और मुझे हिला के उठाया, मेरी तो फॅट के हाथ मे आ गयी थी. मै उसका मूह देखने लगा ये सोच के की अब हंगामा होगा पर उसने कहा की दोनो एक ही तरफ पैर कर के सो जाते है तुम्हारा पैर मुझे बार बार लग रहा है. मैने कहा ठीक है और हम फिर सो गये. थोड़ी देर बाद मुझे उसके बूब्स अपनी पीठ पर महसूस हुए मुझे मज़ा आने लगा था पर उसका हाथ भी बीच मे आ रहा था. मैने उसे तोड़ा सा धक्का दिया ऐसे जैसे उसपे प्रेशर पड़े पर वो समझ ना सके. वैसा हे हुआ उसने अपना हाथ उठा के मेरे उपर डाल दिया. मुझे लगा की जैसे मेरे मान की मुराद आज मुझे मिलने ही वाली हैं. मैने करवट बदल के उसकी तरफ मूह कर लिया अब उसकी गरम गरम साँसे मेरे मूह पर आ रही थी. थोड़ी देर बाद मैने उसके बूब्स सहलाने शुरू कर दिए, उसकी साँसे अब तेज़ होने लगी थी. मैने धीरे धीरे उसके कुर्ते को उठना शुरू कर दिया. और उसके मखमल जैसे पेट पेर हाथ फेरा तो उसके शरीर मे एक सिहरन सी दौर गयी उसने अपनी आँखे बंद रखी थी पेर उसके चेहरे पेर मुस्कान सॉफ झलक रही थी. अब मेरी हिम्मत बढ़ रही थी. मैने उसके सलवार का नाडा खिच लिया और उसकी चूत पेर हाथ फेरने लगा. उसने अपनी आँखे अब खोल दी थी और मेरी आँखो मे देख रही थी. जैसे मेने उसकी आँखो मे देखा उसने मेरे लिप्स को चूमा. उसके बाद हम चूमा छाती मे बिज़ी हो गये करीब ३० मिनिट के बाद वो बोली की बड़ी गर्मी है चलो छत पर चलते है. ये बोल के वो छत पर चली गयीमे भी मंत्रमुग्ध सा उसके पीछे पीछे रोबोट सा चल दिया. जब मै छत पर पहुचा तो मैने देखा की वो एक चादर ओढ़ के लेती है और छत पेर और कोई भी नही था. मै भी जा के उसकी चादर मे घुस गया. वो चादर के अंदर एकदम नंगी थी. वो बोली आओ मेरे बेहन्चोद भाई चोदो अपनी बेहन को. मैने बिना देर किए अपनी बनियान और पयज़ामा उतार के उसके अप्पर लेट गया पर मुझे कुछ करना नही आता था. वो बोली बुद्धू कुछ करना नही आता क्या? मे उसका मूह देखने लगा, वो बोली चलो नीचे लेड जाओ मै सीखाती हू.
मे नीचे लेट गया उसने धीरे धीरे मुझे चूमना शुरू किया और एक हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी. मैने भी उसकी चूचियो को चूसने के लिए हाथ बढ़ाया तो वो बोली की बड़ी जल्दी है पहले एक वायदा करना पड़ेगा और मेरे जवाब का इंतेज़ार किए बिना बोली की जब भी मै बोलूँगी तो तुम मेरी चूत चोदने के लिए माना नही करोगे और जहा बोलूँगी वाहा चोदोगे. कोई मेरे मान की मुराद मुझसे माँगे तो मै गदहा थोड़े हे हू जो माना करूँगा. मई झट से मान गया. तब तक मेरा लंड सात इंच का हो चुका था और लग रहा था फॅट जाएगा. मै बोला दीदी अब तो करने दो मुझसे रहा नही जा रहा है. वो मेरा लंड मूह मे ले कर चूसने लगी थोड़ी देर की चुसाइ के बाद मै उसके मूह मे हे झुद गया तो वो बोली की कोई बात नही सुरू सुरू मे ऐसा होता है जवान हो जल्दी ही फिर तैयार हो जाओगे.
वो मेरा पूरा वीर्या पी के फिर से मेरे सुस्त राम को चूसने लगी करीब ८-१० मिनिट के बाद मै अपना हाथोरा ले के फिर रेडी था. इस बार दीदी मेरे उपर चढ़ गई और मेरे लंड को अपनी चूत के मूह पर रख के उपर से दबाने लगी, थोड़ी मेहनत के बाद वो प्यारी सी चुत मेरे लंड का कवर बन चुकी थी दीदी मेरे उपर हॉर्स राइडिंग कर रही थी और बीच बीच मे मुझे चूम रही थी. कभी मै उपर कभी वो करीब १५ मिनिट की कुश्ती के बाद मै फिर झुड़ने वाला था मैने बोला “दीदी मेरा निकालने वाला है बाहर निकालु?” वो बोली “नही मज़ा मत खराब करो मे तुम्हारा रस अपने अंदर महसूस करना चाहती हू कल मै गोली खा लूँगी तुम लगे रहो” उसके बाद उन्होने स्पीड और तेज़ कर दी और थोड़ी देर बाद मे उनके अंदर झड चुका था और वो भी मेरे उपर निढाल हो कर लेट गयी.
सवेरे के ४ बाज चुके थे और गाव मे सबके जागने का समय हो रहा था. वो बोली की मै नीचे जाती हू नही तो किसी को शक़ हो जाएगा ( इस बात से अंजान की हुमारी भाभी निशा हमे छुप के देख रही थी). मैने कहा ठीक है वो अपना कपड़ा पहन के नीचे चली गयी और मै भी तक के सो गया.
अगले दिन सवेरे मेरी आँख खुली तो देखा निशा भाभी मुझे हिला हिला के जगा रही है और बोल रही थी की “लगता है कल बड़ी मेहनत की थी जो इतनी देर तक सो रहे हो” उनका पल्लू गिरा हुआ था और वो मुझे नशीली आँखो से देख रही थी.
अभी के लिए इतना ही निशा भाभी को मैने कैसे चोदने मे कामयाबी पाई वो अगले भाग मे………